देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुड़े सभी तीनों मामलों में फैसले आ चुका है। इस मामले से जुड़े नेता, व्यापारी और अधिकारी अब सब बरी हैं। कुछ यूं बरी हो गए देश के सबसे बड़े घोटाले के सभी आरोपी
कुछ यूं बरी हो गए देश के सबसे बड़े घोटाले के सभी आरोपी
लगभग सात साल तक सुनवाई करने के बाद पटियाला हाऊस कोर्ट स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में ओपी सैनी ने सभी तीनों मामलों में ए राजा कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष पुख्ता साक्ष्य पेश करने में नाकाम रहा। 2010 भारत के महालेखा नियंत्रक एवं परीक्षक यानि कैग ने स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में धांधली की बात कही थी इसके साथ अपनी रिपोर्ट में सरकारी खजाने को एक लाख 76 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया था। आप को बता दें कि 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2जी स्पेक्ट्रम को मनमाने ढंग से आवंटित किया गया था और इसके साथ ही सभी 122 आवंटन को रद्द कर दिया था।
2जी केस में सीबीआइ की विशेष अदालत का फैसला
-अदालत ने फैसले में कहा कि आरोपियों के खिलाफ सीबीआइ पुख्ता सबूत नहीं पेश कर सकी।
– जज ओ. पी. सैनी ने कहा, ‘पैसों का लेनदेन साबित नहीं हो सका इसलिए मैं सभी आरोपियों को बरी कर रहा हूं।’ दिलचस्प बात यह है कि कोर्ट ने यह नहीं कहा है कि घोटाला नहीं हुआ है। कोर्ट ने कहा कि आरोपों के हिसाब से एजेंसियां सबूत पेश करने में नाकाम रहीं।
-CAG की रिपोर्ट में 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का घोटाला बताया गया था। सीबीआई की चार्जशीट में 30 हजार करोड़ के नुकसान की बात रखी गई थी।
– सीबीआइ ने कहा कि वो फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती देंगे।
-इससे पहले सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर और मुख्य आरोपी ए राजा को ‘बड़ा झूठा’ बताया था जबकि राजा ने सभी एजेंसियों को ‘अंधे इंसान’ कहते हुए कहा था कि वे छूकर हाथी की व्याख्या कर रहे हैं।
– प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि वो विशेष अदालत के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती देंगे।
सीबीआइ की विशेष अदालत का फैसला
-अदालत के फैसले पर कनिमोझी ने कहा कि मैं खुश हूं और सभी का धन्यवाद है।
-ए राजा के वकील मनु शर्मा ने कहा कि इस तरह के मामलों में समय लग सकता है।
लेकिन हकीकत सामने आ ही जाती है। ए राजा के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए लेकिन सीबीआइ की तरफ से साक्ष्य पेश नहीं किए जा सके।
-अदालत के फैसले पर पूर्व टेलिकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि उनकी जीरो लॉस वाली बात सच साबित हुई।
टेलिकॉम सेक्टर में जो कुछ नुकसान उठाना पड़ा उसके लिए वो लोग माफी मांगे जो उनकी बात का माखौल उठाते थे।
-ए राजा और कनिमोझी पर 200 करोड़ रिश्वत लेने का आरोप था।
– संसद में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के जिस घोटाले की वजह से सरकार गई दरअसल वो घोटाला हुआ ही नहीं था।
बरी हो गए देश के सबसे बड़े घोटाले केआरोपी
जांच और अदालती कार्रवाई से जुड़े सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारियों को अपने जुटाए सबूतों पर भरोसा था।
कि इस मामले में आरोपियों को सजा जरूर मिलेगी।
इस मामले पूर्व संचार मंत्री ए, राजा, डीएमके के पूर्व सांसद व करुणानिधि की बेटी कनीमोझी, डीबी रियलिटी के शाहिद बलवा और यूनीटेक के संजय चंद्रा समेत कुल 17 आरोपी थे।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच पूरी करने के बाद सीबीआइ ने दो अप्रैल 2011 को इस मामले में पहली चार्जशीट दाखिल की थी।
इसके दो महीने बाद एक पूरक चार्जशीट दाखिल की गई।
चार्जशीट में सीबीआइ ने यूनिटेक और डीबी रियलिटी के मालिकों के साथ ही राजा के तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदौलिया और तत्कालीन दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा को आरोपी बनाया था।
अदालत ने सीबीआइ की चार्जशीट पर सख्त रूख अख्तियार करते हुए सभी आरोपियों को जेल भेज दिया था।
जो बाद में धीरे-धीरे जमानत पर रिहा हुए।सीबीआइ का कहना था।
रिलायंस टेलीकाम को दोहरी तकनीक के उपयोग।
कि स्वान टेलीकाम और यूनिटेक वायरलेस 2जी स्पेक्ट्रम हासिल करने की अर्हता नहीं रखते थे।
इसके बावजूद इन्हें लाइसेंस दे दिया गया था। स्वान पूरी तरह से एडीएजी की फ्रंट कंपनी थी।
और इसमें सीधे रिलायंस टेलीकाम की 10 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी के साथ ही लगभग 89 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी रखने वाली कंपनी टाइगर ट्रेडर्स में एडीए ग्रुप का ही पैसा लगा था।
कैसे हुआ था घोटाला
सीबीआइ के अनुसार अक्टूबर 2007 में रिलायंस टेलीकाम को दोहरी तकनीक के उपयोग।
का लाइसेंस मिलने के बाद एडीएजी स्वान से अलग हो गया और वह डीबी रियलिटी के हाथ में चला गया।
इसके बाद डीबी रियलिटी के निदेशक शाहिद बलवा और विनोद गोयनका ने।
राजा के साथ साजिश कर2जी स्पेक्ट्रम हासिल कर लिया।
यहां तक कि स्वान को लाइसेंस दिलाने के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय और भारत के अटार्नी जनरल से क्लीन चिट भी हासिल कर ली गई।
इस साजिश में बलवा के साथ एडीएजी के तीन पदाधिकारी भी शामिल थे।
वहीं रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा पर राजा।
रिलायंस टेलीकाम को दोहरी तकनीक के उपयोग।
के साथ साजिश कर लाइसेंस के आवेदन की तारीख एक हफ्ते पहले करने का आरोप है।
गौरतलब है कि राजा ने आवेदन करने की तारीख को।
एक अक्टूबर 2007 से घटाकर 25 सितंबर 2007 कर दिया था और इस कारण कई कंपनियों इस दौड़ से बाहर हो गई थीं।
यही नहीं, यूनिटेक ने अपनी कंपनी के घोषित कार्यक्षेत्र में जरूरी संशोधन किए बिना।
ही यूनिटेक वायरलेस के नाम से नई कंपनी बनाकर आवेदन कर दिया था।
इसी आधार पर दूसरी कई कंपनियों के आवेदन रद्द कर दिए गए थे, लेकिन यूनिटेक मामले में इसे जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हुई थी तेजी से जांच
सीबीआइ 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों के खिलाफ अदालत में पहला आरोपपत्र।
एफआइआर दर्ज करने के डेढ़ साल बाद दाखिल किया था।
लेकिन इसकी अधिकांश जांच सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद अंतिम छह महीने के दौरान पूरी हुई।
जांच के दौरान सीबीआइ ने आरोपियों के खिलाफ 80 हजार पन्नों का दस्तावेजी सबूत इकट्ठा किया था।
और इन्हें सात बड़े स्टील के ट्रंकों में भर कर अदालत में पेश कर दिया था।
दरअसल2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सीबीआइ की एफआइआर अक्टूबर 2009 में ही दर्ज हो गई थी।
लेकिन इसके बाद अगले 11 महीने तक वह हाथ पर हाथ डाले बैठी रही।
सीबीआइ की जांच में तेजी तब आई सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए उसे जांच की प्रगति रिपोर्ट सौंपने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद जांच अधिकारियों को दूसरे सभी कामों से मुक्त कर दिया गया।
और जांच में उसे सहयोग के लिए आठ अन्य अधिकारियों को लगाया गया।
यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के डर से जांच से जुड़े अधिकारी छुट्टी के दिन तक लगातार कार्यालय आते रहे।
करुणानिधि परिवार से जुड़े कलैगनार टीवी में गई थी 200 करोड़ की रिश्वत
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि की बेटी।
और डीएमके सांसद कनीमोझी भी जेल पहुंच गई थी।
सीबीआइ ने फिल्म निर्माता करीम मोरानी की कंपनी के माध्यम से।
कलैैंगनार टीवी में 200 करोड़ रुपये की रिश्वत की रकम पहुंचने के सबूत अदालत के सामने रखा था।
सीबीआइ के अनुसार जांच एजेंसियों की पकड़ से बचने के लिए इसे सिर्फ असुरक्षित लोन के रूप में दिखाया गया था।
और कई कंपनियों से होते हुए कलैगनार टीवी तक पहुंचा गया।
कनीमोझी कलैगनार टीवी की निदेशक मंडल में थी और रोजमर्रा का काम वही देखती थी।
रिश्वत की यह रकम शाहिद बलवा ने दी थी।
सीएजी ने लगाया था घोटाले से एक करोड़ 76 लाख रुपये के नुकसान का अनुमान
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला पर सीएजी की रिपोर्ट आने के बाद देश में राजनीतिक भूचाल आ गया था।
उसने अपनी रिपोर्ट ने बताया था ।
कि इस एक घोटाले से देश के खजाने को कुल एक करोड़ 76 लाख रुपये का नुकसान होने का आरोप लगाया था।
इस रिपोर्ट के बाद विपक्ष दलों ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार पर हमला बोल दिया था।
बाद में अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन खड़ा करने में इस रिपोर्ट की अहम भूमिका रही।