आज बादलों ने फिर साज़िश की
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की

Indian Idol Fame Dipali Sahay
इंडियन आयडल फेम दीपाली सहाय (Indian Idol Fame Dipali Sahay) ने न सिर्फ गायकी की दुनिया में अपनी खास पहचान बनायी बल्कि वह एंकरिंग की दुनिया में भी सूरज की तरह चमक रही हैं। उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। दीपाली सहाय ने अबतक के अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया।

बिहार की राजधानी पटना की हैं दीपाली सहाय
बिहार की राजधानी पटना की रहने वाली दीपाली सहाय के पिता श्री दिनेश किशोर और मां रीता किशोर के घर वाले बेटी को उच्चअधिकारी बनाना चाहते थे। बचपन के दिनों से ही दीपाली (Indian Idol Fame Dipali Sahay)की रूचि गीत-संगीत की ओर थी। स्वर कोकिला लता मंगेश्कर और अपनी आवाज की कशिश के लिये मशहूर आशा भोंसले से प्रभावित होने की वजह से दीपाली उनकी तरह ही पार्श्वगायिका के तौर पर पहचान बनाना चाहती थी। दीपाली ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजधानी पटना से पूरी की। दीपाली ने संगीत के क्षेत्र में अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिवाशीष मुखर्जी से ली इसके बाद दीपाली ने प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद में गायन के क्षेत्र में पांच वर्षीय कोर्स किया।

जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना
सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें
बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।
इंडियन आयडल सीजन 03 मे लिया था हिस्सा

वर्ष 2007 में आंखो में बड़े सपने लिये दीपाली मायानगरी मुंबई चली आयी। दीपाली ने इंडियन आयडल सीजन 03 में हिस्सा लिया। हालांकि वह शो की विजेता तो नही बन पायी लेकिन टॉप 06 में सेलेक्ट कर ली गयी। दीपाली का मानना है कि
परेशानियों से भागना आसान होता है
हर मुश्किल ज़िन्दगी में एक इम्तिहान होता है
हिम्मत हारने वाले को कुछ नहीं मिलता ज़िंदगी में
और मुश्किलों से लड़ने वाले के क़दमों में ही तो जहाँ होता है

दीपाली सहाय को वर्ष 2008 में इंडियन आइडल सीजन 04 को होस्ट करने का अवसर मिला और उन्होंने अपनी लाजवाब एंकरिंग से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वर्ष 2009 में दीपाली ने अभिनय के क्षेत्र में भी कदम रख दिया। दीपाली ने महुआ चैनल पर प्रसारित सीरियल बड़की मलकाइन में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके बाद दीपाली ने सोनी पर प्रसारित सीरियल महाराणा प्रताप , महाबली हनुमान और दूरदर्शनपर प्रसारित अनुदामिनी के अलावा नीम नीम शहद शहद में अपने लाजवाब अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। दीपाली ने दूरदर्शन पर प्रसारित सीरियल भारत के शान और सतरंगी के लिये एंकरिंग भी की जिसके लिये उन्हें काफी प्रशंसा मिली। दीपाली ने वर्ष 2012 में पुणा फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीच्यूट से टीवी निर्देशन के क्षेत्र में एक वर्षीय कोर्स भी किया है।
खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,
जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,
लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,
जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…
कई महोत्सव मे सम्मानित हो चुकी हैं दीपाली
वैशाली महोत्सव , सोन महोत्सव , देव महोत्सव , भागलपुर महोत्सव ,अंग महोत्सव और मधुबनी महोत्सव समेत कई महोत्सव में सम्मानित की जा चुकी दीपाली सहाय ने हाल ही में ‘सारी सारी रतिया जगावे’ के जरिये पहली बार भोजपुरी के क्षेत्र में कदम रखा है। नितिन चंद्रा के निर्देशन में बने इस गाने को लेकर दीपाली काफी उत्साहित है। यूटयूब पर इसे चंद दिनों में एक लाख से अधिक व्यूज मिल गये हैं। दीपाली आज कामयाबी की बुलंदियों पर है। दीपाली के सपने यूं ही पूरे नही हुये , यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है। मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है, हर पहलू ज़िन्दगी का इम्तेहान होता है। डरने वालो को मिलता नहीं कुछ ज़िन्दगी में, लड़ने वालो के कदमो में जहां होता है दीपाली ने बताया कि वह अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने माता-पिता को देती है जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है। दीपाली अपनी सफलता का मूल मंत्र इन पंक्तियो में समेटे हुये हैं।
रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा।