सारण(बिहार)
दहेज प्रथा व बाल विवाह के खिलाफ जनता का मिला साथ : संतोष महतो – दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को समाप्त करने को लेकर राज्य सरकार के आदेश पर रविवार को मानव श्रृंखला बनाने के लिए लोगों को आमंत्रित किया गया था। 13 लाख लोगों को सारण जिले में 480 किलोमीटर में मानव श्रृंखला बनाए जाने को लेकर इसमें शामिल होना था। इसकी तैयारी एक माह से चल रही थी। जिसके वजह से मानव श्रृंखला में लोगों की भीड़ जुट गई। पार्टी कार्यकर्ताओं, जनता और पार्टी के सारण जिले के वशिष्ठ नेताओं का इसमें महत्वपूर्ण योगदान रहा।
दहेज प्रथा व बाल विवाह के खिलाफ जनता का मिला साथ : संतोष महतो
जदयू के प्रखंड से लेकर जिला स्टार के पदाधिकारी इसकी तैयारी में जोर शोर से थे जिसका परिमाण स्वरुप मानव श्रृंखला सफल रही। जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष व् छपरा से तरैया विधान सभा के भावी प्रत्यासी संतोष महतो काफी जोश से इस मानव श्रृंखला के तयारी से लेकर सफल होने तक दिखे। आज कल सुर्ख़ियों में छाये इस नौजवान व् कर्मठ नेता की लोकप्रियता अपने क्षेत्र के अलावा पार्टी में भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। अपने निति और जनता हिट में किये कार्य उनको निरन्तर एक मजबूती के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देते जा रही है जिसपर वो हर वक़्त खरे उतर रहे हैं। संतोष महतो ने बताया की दहेज प्रथा व बाल विवाह के खिलाफ जनता का भरपूर साथ मिला और कार्यकर्ताओं ने भी किया तन मन धन से पूरा सहयोग किया।
कार्यकर्ताओं ने भी किया तन मन धन से पूरा सहयोग
बाल विवाह एवं दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत राज्य सरकार ने पूरे राज्य में 21 जनवरी को मानव श्रृंखला बनाने का निर्णय लिया था।
राज्य सरकार के आदेशानुसार जिला प्रशासन के अधिकारी इस अभियान में जुट गए। सारण जिला में एकमा के चपरैठी से लेकर सोनपुर गंडक पुल तक करीब एक सौ किलोमीटर में मानव श्रृंखला बनाना था। उसके बाद सब रूट पर जिले में भी मानव श्रृंखला बनाने का निर्णय लिया गया। जिले में कुल 480 किलोमीटर में मानव श्रृंखला बनाने को लेकर प्रशासन द्वारा तैयारी शुरू की गई थी। इसके लिए करीब 13.27 लाख लोगों की आवश्यकता थी।
इसको लेकर लगातार लोगों को इस मुहिम में जोड़ने के लिए कार्य किया गया। जिसका परिणाम हुआ कि इस मानव श्रृंखला में शामिल होने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। जिले में 480 किमी में 13 लाख 50 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। इसमें सबसे अधिक सहभागिता सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों की थी। इसके अलावा आंगनबाड़ी की सेविका, सहायिका, आशा कार्यकर्ता, जीविका दीदियों, शिक्षकों की सहभागिता रही। जगह-जगह लोगों को पानी पिलाने के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं ने स्टॉल लगाया था।