गुजरात की इन दो सीटों पर 57 सालों से नहीं जीत सकी बीजेपी (BJP does not win on two seats in Gujarat for 57 years): गुजरात के विधानसभा चुनाव में भले ही बीजेपी ने जीत दर्ज़ कर ली हो लेकिन राजकोट की जसदान और तापी की व्यारा विधानसभा सीट से बीजेपी को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है. ये दोनों कस्बे ऐसे हैं जहां बीजेपी से कोई विधायक अबतक जीत दर्ज़ नहीं कर सका है. गुजरात के गठन के बाद से इन दोनों सीटों पर बीजेपी लगातार अपना कब्ज़ा जमाने का प्रयास करती रही है. लेकिन हर बार इन सीटों से गैर बीजेपी उम्मीदवार को ही विधानसभा भेजा है. बीते 57 सालों में हुए 12 विधानसभा चुनावों में यहां बीजेपी को कभी जीत हासिल नहीं हुई है.
BJP does not win on two seats in Gujarat for 57 years
मोदी मैजिक नहीं चला
विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान बीजेपी के पास इन दोनों सीटों पर जीतने का सबसे अच्छा मौका मिला था लेकिन कांग्रेस की जीत को रोकने के लिए फिर से असफल रहा.
जसदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक प्रचार रैली के दौरान कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा था कि, ‘मेरे गरीब होने की वजह से कांग्रेस ने मुझे नापसंद किया. हां, मैंने चाय बेची लेकिन मैंने देश को नहीं बेच दिया.’
ओबीसी कार्ड से जीतने की थी चाहत
जसदान ओबीसी (कोली) का गढ़ है इसलिए प्रधानमंत्री ने इस बात पर ध्यान देकर समुदाय को लुभाया कि देश में शीर्ष संवैधानिक पद किसी के कब्जे़ में नहीं है.
प्रधानमंत्री राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की जाति और शीर्ष संवैधानिक पद के लिए उनके चुनाव की बात कर रहे थे.
हालांकि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री का भाषण, मतदाताओं को लुभाने में कामयाब नहीं हो सका और कांग्रेस ने यहां से एक बार फिर जीत दर्ज़ कराई.
बीजेपी नहीं बदल सकी स्थानीय तस्वीर
दूसरी तरफ व्यारा, जसदान से 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, महागुजरात आंदोलन के बाद गुजरात एक अलग राज्य के रूप में दिखाई देने लगा था.
आदिवासी वर्चस्व वाले क्षेत्र में पिछले 57 सालों से कांग्रेस सत्ता में काबिज़ है. यहां भी बीजेपी को स्थानीय तस्वीर बदलने की उम्मीद थी.
हालांकि जनता ने बदलाव के लिए कोई मूड नहीं था और गमित पूनभाई ढाढभाई का समर्थन किया और कांग्रेस को विधानसभा में उनकी प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया.