पूर्व एमएलसी गणेश भारती के नेतृत्व में NCM टीम पहुंची भीतहरवा, नोनिया के गौवरशाली इतिहास के तथ्यों को किया एकत्रित

भीतहरवा, पश्चिम चम्पारण(बिहार)

8 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर, बिहार में नोनिया चेतना मंच द्वारा हो रहे चम्पारण शताब्दी समरोह को लेकर आयोजक की टीम संस्था के अध्यक्ष पूर्व MLC गणेश भारती के नेतृत्व में दिनांक 13 सितंबर को पश्चिमी चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम पहुंची। पास के गांव बेलवा, भितिहरवा एवम श्रीरामपुर आदि गांव का दौरा किया। दौरा का मुख्य उद्देश्य 1917 में जब महात्मा गांधी जी चंपारण में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जब भितिहरवा पहुंचे तो नोनिया समाज की भागीदारी का पता लगाना था।

Freedom Fighter Mukutdhari Prasad Chauhan
वीर स्वतंत्रता सेनानी मुकुटधारी प्रसाद चौहान की दुर्लभ तस्वीर

भितिहरवा गांव एवं आसपास के गांव के लोग जिसमें नोनिया समाज के अधिकांश लोग गांधी जी द्वारा चलाए जाने वाले सत्याग्रह कार्यक्रम में अपना सहयोग व् बलिदान देने का काम किये, स्थानीय लोगो द्वारा पता चला। स्थानीय लोगो द्वारा पता चला की स्थानीय मुकुटधारी चौहान जी और उनके परिवार के लोगों ने गांधी जी को भितिहरवा में आश्रम बनाने के लिए जमीन दान में देने का काम किया। आज भितिहरवा आश्रम में जो आश्रम बनी है जिसका नाम गांधी आश्रम है वह जमीन की मालिकाना हक मुकुटधारी चौहान जी रहे। चंपारण सत्याग्रह में अग्रणी भूमिका नोनिया समाज के लोगों ने निभाने का काम किया वहां जाने के बाद गणेश भारती और उनके साथियों ने देखा और स्थानीय लोगों से मिला जो जानकारी मिली वह आश्चर्यजनक है। चंपारण सत्याग्रह में महात्मा गांधी के नेतृत्व में भाग लेने वाले सैकड़ों नोनिया समाज के लोग थे।

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6 अक्टूबर 1976 को समाचार पत्र में स्वतंत्रता सेनानी मुकुटधारी प्रसाद चौहान पर प्रकाशित खबर

1972 में आजादी के 25 वीं वर्षगांठ के अवसर पर चंपारण सत्याग्रह में भाग लेने वाले या उनके परिवार को राष्ट्र की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने 15 अगस्त 1972 को ताम पत्र दिया यह इस बात को साबित करता है कि चंपारण सत्याग्रह में नोनिया समाज की अग्रणी भूमिका रही इतना ही नहीं हम लोगों को यह जानकर काफी खुशी हुई कि मुकुटधारी चौहान जी महात्मा गांधी के प्रथम शिष्य थे। कोलकाता से प्रकाशित एक समाचार पत्र में आज से 40 वर्ष पहले एक लेखक ने लिखा महात्मा गांधी का चंपारण सत्याग्रह में महतो जाति के लोगों ने काफी मदद की यह इस बात को साबित करता है चंपारण सत्याग्रह में महतो समाज यानी नोनिया समाज की बड़ी भूमिका रही। “बदलाव” पत्रिका के एक लेख में भी ये लिखित दर्ज है की मुकुटधारी प्रसाद चौहान को स्वतन्त्रता सेनानी का पेंशन भारत सरकार द्वारा प्रतिपादित हुवा था जिसे मुकुटधारी प्रसाद चौहान ने लेने से मना कर दिया था।

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मुख्यमंत्री नितीश कुमार को मुकुटधारी प्रसाद चौहान की विशाल प्रतिमा को स्थापित करने के लिए मांग पत्र देते पूर्व एमएलसी

बताते चले की इस वीर पुरुष व महान स्वतंत्रता सेनानी मुकुटधारी प्रसाद चौहान की विशाल प्रतिमा पश्चिम चम्पारण में विस्थापित करने को लेकर पूर्व एमएलसी ने हार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से मुलाक़ात भी की थी और एक आग्रह पत्र उन्हें दिया था। नितीश कुमार ने भी  मुकुटधारी प्रसाद चौहान से सम्बंधित तथ्यों को एकत्रित करने का आदेश प्रधान सचिव को दिया था।

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15 अगस्त 1972 को तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा प्रदान त्राम पत्र। स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाने के लिए रामबृक्ष महतो के साथ कई नोनिया समाज के वीर सपूतों को प्रदान किया गया था।

जिन लोगों को ताम्रपत्र राष्ट्र की ओर से दिया गया जिनमें राम वृक्ष महतो जी के साथ अन्य काफी संख्या में लोगो को राष्ट्र की ओर से ताम पत्र से सम्मानित किया गया मेरे साथ सामाजिक और राजनीतिक जीवन को समर्पित युवा नेता अनिल कुमार महतो, पूर्व प्रधानाचार्य शिव शंकर महतो, रवि कुमार महतो भी गणेश भारती के साथ में रहे। टीम स्वतंत्रता सेनानी मुकुटधारी चौहान जी एवं रामवृक्ष महतो सहित अन्य उन लोगों के परिवारों से मिलने का काम किया और पूरी जानकारी प्राप्त की। महान स्वतंत्रता सेनानी मुकुटधारी चौहान जी परिवार के सदस्य श्री अनिल कुमार चौहान जी एवं चंदन चौहान जी से मिलने का काम किया। साथ ही स्वतंत्रता सेनानी रामवृक्ष महतो जी के पुत्र पूर्व शिक्षक श्री शिव शंकर महतो जी से भी मुलाकात हुई और ८ अक्टूबर को मुजफ्फरपुर के चम्पारण शताब्दी समारोह में सादर आमंत्रित किया गया।

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बापू के आश्रम के प्रथम शिष्य, नोनिया समाज के वीर सपूत व देश के वीर स्वतंत्रता सेनानी का आवास
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विनोबा भावे के साथ स्वतंत्रता सेनानी मुकुटधारी प्रसाद चौहान

बताते चले की मुजफ्फरपुर में नोनिया चेतना मंच के नेतृत्व में हो रहे चम्पारण शताब्दी समारोह का मुख्य उद्देश्य नोनिया समाज के वीर सपूतों, स्वतंत्र सेनानियों को एक श्रद्धांजलि है और साथ ही नोनिया के गौरवशाली इतिहास की गाथा शामिल है। जिसमे विभिन्न प्रदेशों और जिलों से हजारों की संख्या में सामाजिक लोग शिरकत करेंगे।

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