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कर्नाटक में किसानो को मिला १ रूपया मुवाअजा, मजाक या तिरस्कार?

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आजकल किसानो का मामला देश में काफी गंभीर और एक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है| किसानो की हालत सूखे की वजह से बद से बदतर हो गयी है और वही मुवाअजे के नाम पर किसानो को फसल के एवज में १ रुपये देने का मामला कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का आया है| कांग्रेस पार्टी एक तरफ मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में वहां की सत्ताधारी पार्टी भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता की आलोचना किसानो की प्रति करती आ रही है तो वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक सरकार लगातार खराब मौसम का सामना करने वाले असहाय किसानों की समस्या को .नजरअंदाज कर जले पर नमक छिड़कने का कार्य कर रही हैr कर्नाटक में लगातार छह फसलें सूखे के चपेट में आने के कारण किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है, जिसके लिए किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

विजपुरा, धारवाड़, हसन और कोप्पल जिलों के किसानों ने कहा कि राज्य के राजस्व विभाग ने मुआवजा के तौर पर एक रुपया उनके खातों में जमा कराए हैं वहीँ सरकार के कुछ अधिकारियों का कहना है कि पैसा ‘परीक्षण’ के रूप में किसानो के खाते में जमा किया गया था की ये पता चल सके की उनका खाता आधार कार्ड से जुड़े होने के कारण सही स्थान्तरित हो रहा है या नहीं| लेकिन अधिकारियों के इस सफाई से किसानो के रोष है और वो ये मानने को तैयार नहीं हैं|

इस पर सफाई देते हुए राज्य पशुपालन मंत्री ए मंजू ने कहा कि हाल ही में एक लाख बैंक खातों को आधार लिंक किया गया है जिसके लिए पहले परिक्षण जरुरी था और हमारा कार्य परिक्षण कर ये जानना है की कितने खाताधारक है, किसानो को कितनी हानि हुयी, कितना मुवाअजा देना है क्यूंकि किसानों को किसी भी तरह के मुआवजे का भुगतान हमारे द्वारा सीधे नहीं किया जाता है बल्कि यह भुगतान भारत के राष्ट्रीय भुगतान द्वारा किया जाता है.

एक रूपया एक लाख खातों में जमा करने और सरकार के पैसों की बर्बादी, यह पूछने पर कर्नाटक के कृषि मंत्री कृष्णा बायर गौड़ा ने कहा कि यह गलत खातों में लाखों रुपये जमा करने से बेहतर है की एक रुपया सही खातों में गया है, तो इसमें कोई नुकसान नहीं है|

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