महिला कुश्ती नये अंदाज मे, लोकगीत गाते हुए सारी पहने लगाती हैं दाँव पेंच

कमर पर साड़ी कसकर और आभूषणों को किनारे रख गोसाईंगंज के अहिममऊ गांव में हुए महिला कुश्ती कॉम्पिटिशन में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। सदियों पुरानी परंपरा को जारी रखते हुए नाग पंचमी के अगले दिन आसपास के 15 गांवों की सैकड़ों महिलाओं और लड़कियों ने इस कुश्ती को देखा। लोकगीतों की धुन पर हो रही कुश्ती के बीच-बीच में गालियां भी थीं और ढोलक समेत अन्य यंत्रों की थाप भी। कुश्ती शुरू होने से पहले महिलाओं ने मिलकर लोकगीत गाए और बरसों पुराने परंपरा को शुरू किया।

महिला कुश्ती में पिछले पांच दशक से शामिल हो रहीं 80 साल की रामकली ने बताया, ‘अधिकतर गाने फूहड़ हैं लेकिन ये केवल मजे के लिए है। ये परंपरा का हिस्सा है। बूढ़ी महिलाएं भी कुश्ती लड़ रही महिलाओं में जोश भरने के लिए ये गानें गाती हैं।’ अर्जुनगढ़ से आए रेसलिंग ग्रुप का नेतृत्व कर रहीं शांति रावत ने अपनी टीम की राधा की तारीफ करते हुए कहा कि यहां आए हुए सभी लोगों में से कोई भी राधा को नहीं हरा सकता। उन्होंने कहा, ‘राधा ने आज चार मैच जीते।’ इसी बीच 75 साल की राम दुलारी कुश्ती करने उतरीं और राधा को चारों खाने चित कर दिया। वहां मौजूद सभी लोगों ने राम दुलारी का स्वागत तालियों से किया।

हर टीम के समर्थक गाते हुए अपनी टीम का हौसला बढ़ाते। एक प्रतिभागी मालती देवी ने बताया, ‘यहां को कोई भी प्रफेशनल नहीं है और हम सब अपनी मां और दादी को कुश्ती को देख कर सीखे हैं।’ युवा पीढ़ी भी इस कार्यक्रम में न केवल बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती है बल्कि पूरे कार्यक्रम की तैयारियां भी करती है। 16 साल से ज्यादा की उम्र की लड़कियां भी कुश्ती करती हैं। कार्यक्रम ऑर्गनाइज करने वाली टीम की एक सदस्य शिवानी ने बताया, ‘पिछले चार साल से में लड़ाई में हिस्सा नहीं ले रही हूं क्योंकि मैं कार्यक्रम के आयोजन में व्यस्त रहती हूं। मैं बचपन से इसमें हिस्सा ले रही हूं और इसका हिस्सा बनना मुझे पसंद है जिससे परंपरा को बरकरार रखा जा सके।’

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