भारत और चीन रोज रोज एक दूसरे के सामने रहते है, दोनों ही डोकलाम विवाद को लेकर काफी सक्रिय है, डोकलाम विवाद जो की काफी समय से चल रहा है. इस गतिरोध पर सारी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं. एक तरफ चीन अपनी मनमानी करने की कोशिश कर रहा है तो दूसरी तरफ भारत उसके हर नापाक इरादे का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है और अपनी ताकत को भी चीन के सम्मुख टूटने नहीं दे रहा है . चीन के मीडीया में आए दिन भारत के खिलाफ ख़बरें छपती हैं वहां का मीडिया भी वहां की सरकार की ही तरह झूठी बातें करता रहता है जिसका भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. हालांकि अब एक बड़ी खबर आई है जिससे लगता है कि दोनों देशों के बीच युद्ध नहीं होगा.
भारत-चीन निकाल रहे हैं गतिरोध खत्म करने के रास्ते
दरअसल भारतीय विदेश सेवा के उच्चपदस्थ सूत्र के अनुसार जमीन पर केवल 300 मीटर पीछे हटने के लिए कभी भी दो देश युद्ध नहीं करते और न ही अपने सेना को युद्ध के परिस्थितियों में धकेलते है . सूत्रों का कहना है कि चीन और भारत के बीच चल रहे गतिरोध को खत्म करने के प्रयास जारी हैं. कूटनीतिक चैनल का इस्तेमाल किया जा रहा है और जल्द ही समस्या के समाधान की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि भारत की सेना ने चीन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं.
सूत्रों ने बताया है कि जून से अब तक चीन और भारत के बीच डोकलाम विवाद को खत्म करने के लिए कई प्रयास किये जा चुके हैं. इस दौरान चीन की तरफ से कई बार युद्ध की धमकी भी आई है लेकिन इस सारे वाकये के बाद भी भारत और चीन के बीच जो रिश्ते हैं उनका दोनों देश सम्मान करते हैं.
भारत ने सेना हटाने के लिए चीन के सामने रखी ये शर्त
जब सूत्र से युद्ध की संभावना के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि भारत डोकलाम से अपनी फौज को हटाने के लिए तैयार है लेकिन शर्त ये है कि चीन अपनी सेना को पीछे ले जाने की पूरी गारंटी दे तभी भारत अपनी सेना को पीछे हटने का आदेश दे सकता है. उन्होंने आगे कहा कि, रहा सवाल युद्ध का तो भारत और चीन 300 मीटर जमीन के टूकड़े के लिए युद्ध नहीं कर सकते.
सेना से रिटायर्ड, मेजर जनरल अशोक मेहता का मानना भी है कि भारत और चीन के बीच डोकलाम मुद्दे को लेकर युद्ध नहीं हो सकता. उन्होंने स्थानीय स्तर पर संघर्ष होने की बात तो मानी लेकिन युद्ध होने की संभावना को नकारा. जबकि राजनयिक स्तर के सूत्रों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर भी संघर्ष की संभावना कम है.
भारत और चीन युद्ध में बहुत कुछ खो देंगे ये बात दोनों ही देशों के नेता अच्छी तरह से जानते हैं. दोनों ही देशों के पास बड़ी सैन्य ताकत है दोनों के पास पैदल सेना, नौसेना और वायुसेना मौजूद है. इससे बढ़कर दोनों ही देशों के पास परमाणु बम भी हैं. दोनों ही देशों के रणनीतिकार जानते हैं कि युद्ध से क्या नुकसान होगा. इसलिए युद्ध की संभावनाएं बहुत कम हैं.
युद्ध कभी भी किसी समस्या का निवारण नहीं होता है, युद्ध से दो देश दो परिवार बिखर जातें है उनकी इकॉनमी पीछे चली जाती है. युद्ध से दो व्यक्ति विशेष नहीं वरन पूरा परिवार जुड़ा होता है.